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अडानी ग्रीन एनर्जी ने 12,000 मेगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता को पार कर बनाया रिकॉर्ड
अदानी समूह की अक्षय ऊर्जा इकाई अदानी ग्रीन एनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि उसने परिचालन पोर्टफोलियो में 12,000 मेगावाट (MW) का रिकॉर्ड पार कर लिया है।
अदानी समूह ने घोषणा करते हुए कहा कि यह इस मील के पत्थर तक पहुँचने वाली भारत की पहली और एकमात्र अक्षय ऊर्जा
कंपनी है । कंपनी ने एक बयान में कहा कि अदानी ग्रीन एनर्जी के 12,258.1 मेगावाट के पोर्टफोलियो में 8,347.5 मेगावाट सौर, 1,651 मेगावाट पवन और 2,259.6 मेगावाट पवन-सौर हाइब्रिड क्षमता शामिल है। कंपनी
ने कहा कि यह मील का पत्थर 2030 तक 50,000 मेगावाट स्वच्छ, सस्ती और विश्वसनीय बिजली देने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
12,258.1 मेगावाट का परिचालन पोर्टफोलियो 6.2 मिलियन से अधिक घरों को बिजली देगा और सालाना लगभग 22.64 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन से बचाएगा। अदाणी ग्रीन एनर्जी गुजरात के खावड़ा में दुनिया का सबसे बड़ा अक्षय ऊर्जा संयंत्र (30,000 मेगावाट)
लगाने जा रही है । यह गुजरात के कच्छ के खावड़ा में बंजर भूमि पर 30,000 मेगावाट का दुनिया का सबसे बड़ा अक्षय ऊर्जा संयंत्र विकसित कर रही है। इसे 538 वर्ग किलोमीटर में बनाया जा रहा है। एक बार पूरा हो जाने पर, यह सभी ऊर्जा स्रोतों में ग्रह का सबसे बड़ा बिजली संयंत्र होगा। अदाणी ग्रीन एनर्जी ने अब तक खावड़ा में 2,824.1 मेगावाट अक्षय ऊर्जा की संचयी क्षमता का संचालन किया है। कंपनी के बयान में कहा गया है, "खावड़ा में त्वरित प्रगति 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता के भारत के लक्ष्य के प्रति एजीईएल की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।" बयान में कहा गया, "खावड़ा में काम तेजी से जारी है, जिसमें एजीईएल अडानी इंफ्रा की परियोजना निष्पादन क्षमताओं, अडानी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड की विनिर्माण विशेषज्ञता, अडानी इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड की परिचालन उत्कृष्टता और हमारे रणनीतिक भागीदारों की मजबूत आपूर्ति श्रृंखला का लाभ उठा रहा है।" अडानी ग्रीन एनर्जी यूटिलिटी स्केल ग्रिड से जुड़े सौर, पवन, हाइब्रिड और हाइड्रो पंप स्टोरेज अक्षय ऊर्जा संयंत्रों का विकास, स्वामित्व और संचालन करती है। वर्तमान में इसका परिचालन अक्षय ऊर्जा पोर्टफोलियो 12.2 गीगावाट है, जो भारत में सबसे बड़ा है, जो 12 राज्यों में फैला हुआ है। कंपनी ने भारत के डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों के अनुरूप 2030 तक 50 गीगावाट हासिल करने का लक्ष्य रखा है। 2021 में आयोजित COP26 में, भारत ने एक महत्वाकांक्षी पाँच-भाग "पंचामृत" प्रतिज्ञा के लिए प्रतिबद्धता जताई। इसमें 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म बिजली क्षमता तक पहुँचना, अक्षय ऊर्जा से सभी ऊर्जा आवश्यकताओं का आधा उत्पादन करना और 2030 तक उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कमी करना शामिल है। भारत का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करना है। अंत में, भारत ने 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लिए प्रतिबद्धता जताई है। जलवायु शमन के लिए हरित ऊर्जा केवल भारत के लिए ही फोकस का क्षेत्र नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर इसने गति पकड़ी है।
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