भारत और डेनमार्क ने ग्रीन शिपिंग में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए हाथ मिलाया
केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शुक्रवार को यहां एक द्विपक्षीय बैठक में डेनमार्क के उद्योग, व्यापार और वित्तीय मामलों के मंत्री मोर्टेन बोडस्कोव से मुलाकात की । इस बैठक के परिणामस्वरूप भारत में ग्रीन शिपिंग में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की जाएगी।दोनों नेताओं ने हरित रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि की और द्विपक्षीय समुद्री सहयोग पर विचारों का आदान-प्रदान किया।दोनों देशों के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये।इसका उद्देश्य भारत में समुद्री क्षेत्र में हरित परिवर्तन को बढ़ावा देते हुए समुद्री गतिविधियों की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार करना है।मंत्रियों ने इसे भारत-डेनमार्क समुद्री सहयोग में एक नए मील के पत्थर के रूप में रेखांकित किया, जिसमें ग्रीन शिपिंग में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना शामिल है, जैसा कि 2024 में हस्ताक्षरित समुद्री मामलों पर द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) में उल्लिखित है।केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, "माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत अब चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और हमारे समुद्री अमृत काल विजन 2047 के तहत कई परिवर्तनकारी पहल कर रहा है। इनमें बंदरगाह बुनियादी ढांचे, हरित शिपिंग , जहाज निर्माण और डिजिटलीकरण के प्रयास शामिल हैं।"सोनोवाल ने कहा, "हम इन परिवर्तनकारी पहलों में डेनमार्क की भागीदारी और निवेश चाहते हैं, जहां टिकाऊ समुद्री प्रथाओं में आपकी विशेषज्ञता और नेतृत्व महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। हम डेनमार्क के साथ घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ग्रीन शिपिंग कॉरिडोर विकसित करने के इच्छुक हैं। उपयुक्त मार्गों की पहचान करना, सहायक नीति विकसित करना और बुनियादी ढांचे का निर्माण करना महत्वपूर्ण होगा।"दोनों मंत्रियों ने हरित रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि की, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डेनमार्क की समकक्ष मेटे फ्रेडरिक्सन द्वारा पारस्परिक रूप से सहमति व्यक्त की गई थी।मंत्रियों ने 2024 में हस्ताक्षरित समुद्री मामलों पर द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन के महत्व पर प्रकाश डाला, जिसमें हरित शिपिंग में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) की स्थापना शामिल है।
मंत्रियों ने भारत सरकार के अमृत काल विजन 2047 में निर्धारित लक्ष्यों के साथ संरेखण पर प्रकाश डाला, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र के लिए हरित शिपिंग केंद्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा भी शामिल है।समुद्री विरासत से संबंधित सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और महत्व को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी), लोथल और डेनमार्क के समुद्री संग्रहालय, एल्सिनोर के बीच एक आशय पत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर किए गए। एलओआई ने साझा समुद्री विरासत का अध्ययन, आदान-प्रदान या प्रदर्शन, तकनीकी जानकारी साझा करने और साझा समुद्री विरासत पर संयुक्त अनुसंधान करने के लिए सहयोग की रूपरेखा स्थापित की।सर्बानंद सोनोवाल ने आगे कहा, "हम शिपिंग पर संयुक्त कार्य समूह और भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन के माध्यम से डेनमार्क की भागीदारी की सराहना करते हैं। ग्रीन स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप पर संयुक्त कार्य योजना इस सब को आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करती है। हमारा समुद्री सहयोग आपसी विश्वास, साझा मूल्यों और एक टिकाऊ और भविष्य के लिए तैयार समुद्री क्षेत्र के लिए एक समान दृष्टिकोण पर आधारित है। हमारे संयुक्त प्रयास वैश्विक समुद्री स्थिरता और नवाचार में भी सार्थक योगदान देंगे।"दोनों पक्षों ने हरित नौवहन , डीकार्बोनाइजेशन, समुद्री प्रशिक्षण और शिक्षा, हरित ईंधन और प्रौद्योगिकी सहयोग तथा जहाज पुनर्चक्रण के क्षेत्र में द्विपक्षीय समुद्री संबंधों को गहरा करने के संभावित तरीकों और साधनों पर चर्चा की । भारत ने प्रस्ताव दिया है कि नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ग्रीन पोर्ट एंड शिपिंग (एनसीओईजीपीएस) और डेनिश मैरीटाइम अथॉरिटी (डीएमए) प्रमाणन पर संयुक्त कार्य शुरू करें और ऊर्जा दक्षता प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित सहयोगी अनुसंधान शुरू करें।इसमें यह भी प्रस्ताव किया गया कि भारतीय बंदरगाह संघ (आईपीए) स्मार्ट बंदरगाह समाधान विकसित करने के लिए आरहूस बंदरगाह के साथ समन्वय करेगा।इन नवोन्मेषी मॉडलों को बाद में भारत के सभी बंदरगाहों पर अपनाया और लागू किया जा सकता है, ताकि परिचालन दक्षता और स्थिरता को बढ़ाया जा सके।बैठक के दौरान सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, "डिजिटल परिवर्तन हमारे बीच एक साझा लक्ष्य है। बंदरगाह संचालन में जहाज पंजीकरण और स्वचालन के लिए ब्लॉकचेन जैसी प्रौद्योगिकियों का डेनमार्क द्वारा उपयोग हमारे समुद्री भारत विजन 2030 और अमृत काल विजन 2047 के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।"इस उत्कृष्टता केंद्र का उद्देश्य भारत में समुद्री क्षेत्र के हरित परिवर्तन को बढ़ावा देते हुए समुद्री गतिविधियों की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार करना है। दोनों पक्षों ने हरित गलियारे के विकास के लिए एक विशिष्ट परियोजना योजना तैयार करने के लिए मैरस्क मैककिनी मोलर सेंटर फॉर जीरो कार्बन शिपिंग (एमएमएमसीजेडसीएस) और नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ग्रीन पोर्ट एंड शिपिंग (एनसीओईजीपीएस) को प्रमुख संस्थानों के रूप में पहचाना।इंडो-डेनमार्क सीओई एक पूर्व-व्यवहार्यता अध्ययन के माध्यम से हरित गलियारों के विकास में योगदान देगा। यह अध्ययन भारत में संभावित हरित गलियारों के मुख्य घटकों के प्रारंभिक मूल्यांकन के रूप में काम करेगा और सबसे आशाजनक गलियारों की रूपरेखा तैयार करेगा।
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